देश की राजधानी दिल्ली में साल 2010 मे आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली हरियाणा की चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया को देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेलरत्न नहीं मिलने पर हरियाणा जनहित कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई ने गहरा रोष जताया है। राज्य के हिसार जिले की अगरोह में जन्मी पूनिया को यह पुरस्कार नहीं मिलने पर कुलदीप बिश्नोई के साथ-साथ राज्य के लोगों ने भी गहरा दुख व्यक्त किया है।
दरअसल स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले भारतीय खिलाड़ी को दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार खेलरत्न की घोषणा हुई थी। इसके लिए डबल ट्रैप शूटर रोंजन सोढ़ी को चुना गया था। यह भी अंदाजा लगाया जा रहा था कि रोंजन सिंह सोढ़ी के साथ-साथ एथलीट कृष्णा पूनिया को भी यह पुरस्कार मिल सकता है। लेकिन खेल मंत्रालय ने पूनिया का नाम नहीं चुनकर तमाम इस तरह की तमाम अटकलों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। पूनिया उनके साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठा रही थीं और इस मामले को लेकर पिछले छह दिनों में दूसरी बार खेलमंत्री से मुलाकात भी की थी। लेकिन उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया है। इस बार उन्हें इस पुरस्कार से वंचित रहना पड़ेगा।
कृष्णा पूनिया ने कहा था कि सोढ़ी का नाम उन दो अधिकारियों के वोट के बाद सामने आया जिनको वोट देने का अधिकार ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पुरस्कार जिस अंतराल के लिए दिया जा रहा है उस में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। अगर सरकार के पुरस्कार देने का यही तरीका है तो उन्हें अवार्ड देने बंद कर देने चाहिए।
चौधरी कुलदीप बिश्नोई ने कहा है कि हमारे देश का हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहाँ के खिलाडियों ने किसी भी स्तर की प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा पदक जीते हैं। कपिलदेव, विजेंद्र सिंह, मोहित शर्मा, गीता पोघट, जोगिन्दर शर्मा तमाम ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से देश का सिर ऊँचा किया है। पूनिया ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश और हरियाणा का नाम रोशन किया था। यही नहीं ओलंपिक में भी वह 6 वें स्थान पर रहीं। भारत सरकार को इस बात पर सही से विचार करना चाहिए था। सरकार को खेल के इस इस सबसे बड़े पुरस्कार को घोषित करने से पहले कृष्णा पूनिया की उपलब्धियां गिन लेनी चाहिए। उन्हें उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कार मिलना चाहिए था। वो इसकी हकदार हैं।